शिक्षक की स्थिति मंदिर के घंटे के समान है , जिसे अधिकारी से लेकर नेता सब बजाने की सोचते हैं। अफ़सोस तो तब होता है जब बाकी विभागों के निकम्मे कर्मचारी भी असहाय परन्तु इस कर्मशील वर्ग को कोसते हैं।। शैक्षिक , ग़ैरशैक्षिक , विभागीय , ग़ैर व… Read more
शिक्षक की स्थिति मंदिर के घंटे के समान है , जिसे अधिकारी से लेकर नेता सब बजाने की सोचते हैं। अफ़सोस तो तब होता है जब बाकी विभागों के निकम्मे कर्मचारी भी असहाय परन्तु इस कर्मशील वर्ग को कोसते हैं।। शैक्षिक , ग़ैरशैक्षिक , विभागीय , ग़ैर व… Read more
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